हायपोग्लायसेमिया अनअवरनेस – Hypoglycemia Unawareness

हायपोग्लायसेमिया अनअवरनेस – Hypoglycemia Unawareness

अगर आपने हमारा YouTube Video देखा होगा तो आपको समझा होगा क्या होती है
लो शुगर (Hypoglycemia) की लक्षणे, और क्या होता है हायपोग्लायसेमिया अनअवरनेस Hypoglycemia Unawareness अगर नहीं देखा है तो जरूर देख लीजिये।

तो क्या होती है hypoglycemia unawareness जान लेते है?

यह एक ऐसी कंडिशन है जिसमे एक डायबिटिक इंसान की ब्लड शुगर लेवल 70mg/dl से कम हो जाती है और इसके कोई भी लक्षण दिखाई देते नहीं है।

एक साधारण डायबिटिक इंसान को जब भी ब्लड शुगर लेवल कम होता है तब

  • १.बोहोत पसीना आना।
  • २. धड़कन तजे होना।
  • ३. हाथ और पाओ कपकपाना।
  • ४. बेचैनी होना।
  • ५. बोहोत भुक लगना।
  • ६. कन्फ्युजन लगना।

यह सब होता है, तो यह सब लक्षण क्यों दीखते है जानलेते है, जब भी खनू में sugar की मात्रा गीर जाती है तब अपना शरीर उसको बढ़ाने की कोशिश करता है
और उस दौरान ग्लूकैगौन (glucagon) और एपीनेफ्रीन (epinephrine) इन जैसे हॉर्मोन अपना शरीर बाहर छोड़ता है, glucagon अपने लिवर (जिगर) को सिग्नल भेजता है की वो सेविंग में स्टोर शुगर का इस्तेमाल करने का वक्त आगया है, और epinephrine या adrenaline लिवर को सिग्नल देता है
की और ग्लूकोज़ बनाओ, और यही सबके दौरान हम उपर दी गयी सब लक्षण महससू करते है,

लेकिन बात ऐसी है की यह सब हायपोग्लायसेमिया अनअवरनेस वाले इंसान में होता ही नहीं है, ना glucagon और epinephrine हॉर्मोन काम करता है, ना लिवर को कुछ सिग्नल जाता है। जिनको हायपोग्लायसेमिया अनअवरनेस (hypoglycemia unawareness) है वो बीना कोई लक्षण या किसी वॉर्निंग के बीना ही severe hypoglycemia experience करते है, बोहोत कन्फ्युजन महससू करते है, या फिर कभी कभी बेहोश भी होजाते है, क्यूकी epinephrine लो ब्लड शुगर हुआहै ऐसा लिवर को सिग्नल नहीं दे पाता।

क्यों होता है हायपोग्लायसेमिया अनअवरनेस (Hypoglycemia Unawareness) ?

तो ऐसा क्यों होता हैऔर कोनसे लोगोंको होता है? सालोंके अभ्यास ने ऐसा बताया है की

  • १. जिनको बोहोत समय से मधुमेह है।
  • २. फिर जिनकी उम्र बोहोत ज्यादा हो चुकीहै , वृद्ध लोग।
  • ३. बार बार जिनको शुगर लो होती रहती है।
  • ४. स्ट्रेस ज्यादा तनाव होना या फिर डिप्रेशन इसकी वजह सेभी होता है।
  • ५. दारू (Alcohol ) का ज्यादा सेवन करने वाले लोग। दारू का बार बार बहुत प्रमाण मेंसेवन करने से लिवर पे असर होके वह पहचान नहीं पाता की शरीर में ग्लूकोज़ की कमी हो चुकी है , और यह तब तक रहता हैजब तक अपना शरीर दारू (Alcohol ) को पचाता है, ऐसा कुछ सबतू नहीं है की दारू के सेवन की वजह से ही हायपोग्लायसेमिया अनअवरनेस (hypoglycemia unawareness) होता है, लेकिन बोहोत ज्यादा दारू के सेवन से लिवर हमेशा के लिए नाकाम जरूर हो जाता है।
  • ६. बिटा ब्लॉकर जैसी दवाइया लेना। कुछ beta blockers दवाइया जो हाई ब्लड प्रेशर के लिए ली जाती है उससे ऐसे परिणाम होते है की शरीर hypoglycemia के लक्षण जान नहींपाता, कुछ depression की दवाइयों की वजह से भी ऐसा असर हो सकता है।
  • ७. सोनेके दौरान sugar कम होना और ऐसे बार बार होना, ऐसे बार बार होनेसे उनका hypoglycemia डिटेक्ट कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है।
  • ८. बहुत ज्यादा तौर पर शारीरिक व्यायाम सेभी ऐसेहो सकता है। जी हां व्यायाम के दौरान और व्यायाम के बाद hypoglycemia बढ़ता है, और इस दौरान शरीर की पेशिया इंसुलिन को बहुत सेंसिटिव होती है, यह व्यायाम के १५ घंटे बाद भी हो सकता है, तभी especially जब बोहोत ही तनाव पूर्ण व्यायाम हुआ हो।

अगर आपको hypoglycemia के बारेमें तभी पता चलता है जब वो 70 mg/dl है, और ऐसा बार बार होता हो तो आपको यह सब tips जो हम आपको अभी बताएँगे वो
मदत कर सकती है और आपका glucose level भी बढ़ानेमें कुछ हद तक मदत कर सकती है।

१. More frequent blood glucose measurement : (fingertips)
मतलब दिन में कई बार ब्लड ग्लूकोज़ लेवल चेक करना। इससे होगा ऐसे की जिनको लक्षण नहीं है उनमे अगर शुगर लो हो रहा है तो वो कब हो रहा है यह सब जानके hypoglycemia पर जल्द ही इलाज कर सकते है।

२. Continuous glucose monitoring (CGM):
Fingertips का ब्लड शुगर टेस्ट सिर्फ एक चुने हुए वक्त का ही शुगर लेवल बता सकता है पर continuous glucose monitoring से आप हर मिनट पर अपना ब्लड शुगर लेवल जान सकते है। यह ऐसेब नाया गया है की इस वजह से एक तरह का ट्रेंड अगर आपका शरीर फॉलो कर रहा है तो वो भी पता चल सकता है और कभी कभी इसमें ऐसे एलार्म भी होते है जिससे यह आपको आगाह कर सकता हैकी आपका शुगर लेवल अब कम हो सकता है।

३. सरंचित प्रशिक्षण (structured training ):
इंसुलिन डोस कैसे ले इसका प्रशिक्षण आपके डॉक्टर से ले सकते है, जिससे की ब्लड शुगर लेवल कम होने की संभाव्यता कम हो यह सबकी ट्रेनिंग आपके डॉक्टर आपको दे सकते है।

४. Automated Insulin Delivery (AID):
CGM जैसेही AID एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे एक पेशंट को इंसुलिन डोस कब और कैसे एडजस्ट करे इसकी बार बार ध्यान रखने की जरुरत नहीं पड़ती, cgm में आए हुए शुगर लेवल के आकंड़े AID में एक algorithm से होकर जाते है और अपने शुगर लेवल को ध्यान में रखते हुए अब हमे कितना इंसुलिन लगेगा इसकी जानकारी देता है. आप अपने डॉक्टर से बात करके ऐसे सिस्टम अपने लिए भी ले सकते है.

५. Hypoglycemia का Emergency toolkit अपनेसाथ रखना :
Hypoglycemia awareness है, तो ऐसा emergency toolkit साथ रखना खदु के लिए और अपने आसपास के लोगो के लिए भी एक राहतमदं चीज होती है, अगर आपका शुगर लेवल कम हो भी जाये तो आप इसका इस्तेमाल कर सकते है और अपने आसपास के लोगोको भी इसकी जानकारी दे सकतेहै की यह कब और कैसे इस्तेमाल करना चाहिए। आपके इस toolkit में ग्लुकोज टेबलेट ,कुछ मीठे स्नैक्स, glucagon जो इस toolkit का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, और ग्लूकोज़ मॉनिटर होना भी बहुत आवश्यक है, आपकी emergency contact की जानकारी यह सब बहुत आवश्यक है.

और जानकारी के लि ए डॉ. निखिल प्रभु का youtube जरूर देखे और कंसल्ट करनेके लिए call जरुर कीजिये…..

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