डायबिटीज और मेनोपॉज
आज के पोस्ट में महिलाओं से संबंधित उनके मेनोपॉज और डायबिटीज की चर्चा की जा रही है।
क्या महिलाओं में मेनोपॉज के बाद डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती हैं?
हम सब इस बात को जानते हैं कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव नज़र आने लगते है।
इस बदलाव के कारण कई बार मूड स्विंग होना, या शुगर लेवल का कम या ज्यादा होना शामिल होता है।
यूनाइटेड स्टेट में तकरीबन 45 से 50℅ महिलाओं में,जिनकी उम्र 40 साल या उससे अधिक है, उन्हें टाइप-2 डायबिटीज की समस्या होती है।
इसकी एक मुख्य वजह फैमिली हिस्ट्री से जुड़ी हुई होती है।
जिसमें हाई ब्लड प्रेशर, हाइपोथायरायडिज्म, और कार्डिओवेस्क्यलर बीमारियाँ प्रमुख कारण होती हैं।
मेनोपॉज के बाद डायबिटीज बढ़ने के कुछ महत्त्वपूर्ण कारण (Triggers leading to diabetes after menopause)
कुछ महत्वपूर्ण कारण होते हैं, जिसकी वजह से महिलाओं में मेनोपॉज के बाद डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।
1. हिस्ट्री ऑफ कार्डिओवेस्क्यलर (History of cardiovascular)
2. हाई ब्लड प्रेशर ( High blood pressure)
3. हार्मोनल इम्बैलेंस( Hormonal imbalance)
4. ओबेसिटी ( Obesity)
5. स्मोकिंग (Smoking)
6. अल्कोहोलिज्म( Alcoholism)
7. ड्रग एब्यूस (Drug abuse)
8. सिडेन्ट्री लाइफ स्टाइल ( Sedentary lifestyle)
9. लैक ऑफ एक्सरसाइज ( Lack of exercise)
10. हाइपोथायरायडिज्म ( Hypothyroidism)
सामान्यतः उन महिलाओं में डायबिटीज की समस्या बढ़ जाती है, जो मेनोपॉज के बाद अपने डायबिटीज को नियंत्रण में नहीं रख पाती हैं।
मेनोपॉज के दौरान कभी कभी वो डिप्रेशन और मूड स्विंग से परेशान होने लगती हैं।
मूड स्विंग बहुत बड़ा कारण होता है, उन महिलाओं के लिए जिन्हें डायबिटीज होती है।
कई महिलाओं ने इस बात को ज़रूर नोटिस किया होगा कि उनका ब्लड शुगर लेवल में काफी उतार -चढ़ाव होने लगता है जब उनका पीरियड आने वाला होता है।
उन्हें मीठे में जैसे- चॉकलेट या हेवी फूड खाने की इच्छा होने लगती है।
महिलाओं की मेन्सट्रूअल साइकिल ( menstrual cycle) जब अव्यवस्थित होने लगे यानि कि फ्लो कभी बहुत कम या कभी बहुत ज्यादा या कभी समय से पहले होने लगे तो यह समझा जाना चाहिए कि मेनोपॉज की स्थिति आने वाली है।
ये सारी स्थितियाँ इस बात को इंगित करती हैं कि उनका शरीर प्रीमेनोपॉज से कंपलीट मेनोपॉज की तरफ बढ़ रहा है, जब पीरियड आना बंद हो जाएगा।
इस दौरान शरीर में हार्मोन बनना कम होने लगता है और शुक्राणु बनने की संख्या में भी कमी आने लगती है।
शारीर में होने वाले इन परिवर्तन के कारण मेनोपॉज की स्थिति में डायबिटीज का बढ़ जाना सामान्य बात होने लगती है।
महिलाओं की ओवरी में ओव्यूलेशन ( ovulation) के समय oestrogens हार्मोन कम होने के कारण शुक्राणु बनना बंद हो जाता है।
इस वजह से महिलाओं को बहुत ज्यादा गर्मी लगना, रात में पसीना आना, मूड स्विंग होना, योनि में सूखापन आना, जैसी कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
यह जरुरी नहीं है कि सभी महिलाओं में समान लक्षण दिखाई दें, पर कुछ समान लक्षण अधिकांश महिलाओं में देखे गए हैं।
ये लक्षण मुख्यतः नींद न आना, मोटापा, सेक्स की इच्छा में कमी हो सकते हैं।
यहाँ कुछ महत्त्वपूर्ण टिप्स दिए जा रहे हैं, जिससे मेनोपॉज के बाद डायबिटीज को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
- वेट के साथ करने वाले व्यायाम
- रोजाना शरीर को स्वस्थ रखने वाले व्यायाम
- जिन महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस या जोड़ों में दर्द की समस्या है, उन्हें विसफॉस्फोनेट ( bisphosphonate ) मेडीकेशन की जरुरत है, जिससे कि शरीर में इंसुलिन की जरुरत को कम किया जा सके।
- अल्कोहल का उपयोग सीमित मात्रा में की जानी चाहिए।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड जिन खाद्य पदार्थो में है, उनका सेवन किया जाना चाहिए । जिसमें फ्लेक्स सीड, अखरोट को जरूर शामिल किया जाना चाहिए।
- अपने वजन को नियंत्रण में रखना आवश्यक है।
- अपने ब्लड शुगर लेवल की हमेशा जाँच की जानी चाहिए। खासकर जब बहुत ज्यादा गर्मी लगने लगे, मूड स्विंग होने लगे, ठीक से नींद न आए, ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण से बाहर होने लगे तो बिना देर किए किसी भी डायबेटोलोजिस्ट ( Diabetologist) से संपर्क करना ज़रूरी है, ताकि वो आपके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने के लिए आपके लिए सही दबा का चुनाव कर सकें।
- योनि में इंफेक्शन न हो इसके लिए एंटीफंगल लूब्रिकेंट अपनाने की जरुरत है।
- वजन ज्यादा होने के कारण कार्डिओवेस्क्यलर रिस्क बढ़ सकता है, अत: कोलेस्ट्रॉल लेवल को समय -समय पर मापते रहना और उसे सही रखने से रिस्क की संभावना कम हो जाती है।
- मेनोपॉज के दौरान और लगभग 45 साल की आयु के बाद महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है। ऐसे समय में कैल्शियम और विटामिन- D सप्लिमेंट लेना शरीर की हड्डियों की घिसने की प्रक्रिया में रोक लगाती है। यहाँ यह ध्यान देने की जरुरत है कि अपने शरीर को साथ लापरवाही नहीं वरतना चाहिए क्योंकि किसी में उम्र में शरीर को स्वस्थ रखना खुद के हाथमें होता है।
इस लेख का सारांश यही है कि किसी भी महिला को मेनोपॉज के बाद अगर डायबिटीज होता है तो उसे नज़र अंदाज नहीं करना चाहिए।
हेल्दी जीवन शैली अपनाकर अपने जीवन को सही दिशा दें।
“स्वस्थ महिला तो स्वस्थ परिवार!”
मुझे उम्मीद है कि मेरा यह लेख पसंद आया होगा।
आपका दिन शुभ हो।
धन्यवाद!!