क्या होता है डायबिटिक नेफ्रोपैथी ? क्या आपने कभी सोचा है की आपके डायबिटीज का आपके किडनी (गुर्दे) पर भी परिणाम हो सकता है। अगर आप बहुत ज्यादा मात्रा में मीठा खा रहे है तो उसे तुरंत कंट्रोल करे, या अगर बहुत सालों से डायबिटीज से जुज रहे है तो आपकी किडनी (गुर्दा) ख़राब होने की बड़ी सम्भावना है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी और कुछ नहीं तो डायबिटीज की वजह से किडनी फैल होना होता है। तो जानते है विस्तार में क्या होती है डायबिटिक नेफ्रोपैथी।
क्या होता है डायबिटिक नेफ्रोपैथी ?
यह एक तरह का क्रोनिक किडनी रोग है (CKD), इस क्रोनिक रोग में व्यक्ति की किडनी डायबिटीज होने की वजह से ख़राब हो जाती है, यह एक दीर्घकालीन किडनी रोग है। किडनी फेलियर का यह प्रकार टाइप १ डायबिटीज, टाइप २ डायबिटीज या गर्भकालीन डायबिटीज से जूझने वाले व्यक्तियों को हो सकता है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के कितने चरण होते है?
तुरंत किडनी बीमारी (एक्यूट किडनी डिजीज) के अलावा किडनी ख़राब होने में बहुत ज्यादा समय लगता है ,अन्य कोई क्रोनिक डिजीज के जैसे ही इसे ५ चरणों में विभाजित किया जा सकता है। मतलब यह ५ चरणों (steps) में ख़राब होती है। इसे ग्लोमेरूलार फिल्टरेशन रेट (glomerular filtration rate) (GFR) यानी की ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर के आधार पर ५ चरणों (steps) में विभागों बांटा जा सकता है। जैसे जैसे GFR रेट गिरता है वैसे वैसे किडनी ख़राब होती है या यह समाज ले जिए की किडनी फेलियर का स्टेज मालूम पड़ता है।
नीचे दिए गए टेबल में आप देख सकते है कोनसी स्टेज पर किडनी कितनी ख़राब होती है वह।
चरण | GFR स्तर | किडनी की कार्यक्षमता |
१ | 90 + | इस चरण में किडनी ख़राब नहीं हुयी है। |
२ | 89-60 | इस चरण में किडनी ख़राब होने लगी है लेकिन लक्षण नहीं दिखाई देते। |
३ | 59-30 | इस चरण में थोड़ी थोड़ी किडनी से जुडी समस्या दिखाई देने लगती है लेकिन वह बहुत ही थोड़ी है जैसे की कमजोरी, पेशाब से जुडी समस्या आदि। |
४ | 29-15 | इस दौरान किडनी ख़राब होने के लक्षण बहुत ज्यादा दिखाई देते है रोगी को किडनी से जुडी समस्या पर उपचार लेना जरुरी हो जाता है। |
५ | 15 से कम | यह सबसे अंतिम चरण है यहाँ रोगी को डायलिसिस की आवश्यकता होती है। |
तो ऊपर दिए गए टेबल से आप यह समझ सकते है की 90+ gfr सामान्य श्रेणी होता है , 60 के नीचे gfr मतलब किडनी की बीमारी हो सकती है और इससे भी नीचे मतलब 15 से नीचे मतलब किडनी फ़ैल हो चूका है।
क्या होते है डायबिटिक नेफ्रोपैथी के लक्षण?
अगर आप लम्बे समय तक डायबिटीज से जूंझ रहे है तो उसकी नियमित रूप से जांच करवाना बहुत जरूरी है, और अगर आपका शुगर लेवल(Sugar Level) नियमित दवा लेकर या इंसुलिन लेकर भी बढ़ा हुआ दिखा रहा है तो यही डायबिटिक नेफ्रोपैथी का बड़ा लक्षण है।
और नीचे दिए गए आदि लक्षण डायबिटिक नेफ्रोपैथी के है।
१. हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension)
२. हाथ-पैर और चेहरे पर सूजन आना
३.लम्बे समय तक पेशाब न आना
४. पेशाब से बदबू आना
५. झागदार पेशाब आना (यह प्रोटीन लॉस का लक्षण है )
६. आँखे कमजोर होना
७. भूख न लगना जिसकी वजह से कमजोरी होना
८. ब्लड शुगर लेवल बार बार बढ़ना
९. सामान्य से गाढ़ा पेशाब आना
१०. खून से जुड़ी समस्या होना जैसे- खून गाढ़ा हो जाना, खून में थक्का जमना, खून के रंग में परिवर्तन
११. अचानक से ब्लड शुगर लेवल गिरना। इससे व्यक्ति को लगता है की उनका डायबिटीज नॉर्मल हो रहा, और वह औषधि या दवा लेना बंद कर देता है। लेकिन यह किडनी ख़राब होने का साफ़ साफ़ संकेत है।
अगर आप ऊपर दिए गए किसी भी लक्षण से जूंझ रहे है तो आप जरूर जाकर अपनी किडनी की जांच करवाए।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी होने का कारन क्या हो सकता है ?
पहले जान लेते है क्या होता है किडनी का काम। किडनी अपने शरीर में सभी तरल उत्पादों और सोडियम के साथ साथ अन्य जरूरी और गैर उत्पादों के बीच संतुलन बनाती है। अपना यह काम किडनी nephron (नेफ्रॉन ) के सहायता से करती है। यह बहुत ही छोटी संरचनाए होती है जो किडनी में लाखों की मात्रा में मौजूद होती है। यह बहुत नाजुक भी होती है , अगर यह एकबार ख़राब होना शुरू हो गयी तो इसको ठीक करना ना के बराबर है।
जब किडनी नेफ्रॉन की मदद से खून को शुद्ध करती है तभी इस क्रिया में खून में मौजूद सभी अपशिष्ट उत्पाद नेफ्रॉन की मदद से अलग होते है और पेशाब के रूप से शरीर से बाहर निकलते है। अब यह साफ़ हुआ हुआ खून किडनी दिल तक पंहुचा देती है और यह सभी शरीर में प्रसारित होता है। लेकिन जब कोई डायबिटीज से जूज़ता हुआ है तो उसके शरीर में इंसुलिन की मात्रा काम होती है, या इंसुलिन ठीक से काम नहीं कर रहा होता है। ऐसे समय में खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है जिससे खून गाढ़ा या सिरप जैसे हो जाता है, जब यह गाढ़ा खून नेफ्रॉन में साफ़ होने आता है तब यह धीरे धीरे नेफ्रॉन को डॅमेज करने लगता है। और नेफ्रॉन डैमेज होने की वजह से किडनी ख़राब होना शुरू हो जाती है। और इसे ही डायबिटिक नेफ्रोपैथी से जाना जाता है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी में जोखिम कारक क्या है ?
डायबिटीज खुद किडनी रोग के लिए जोखिम कारक है लेकिन नीचे दिए गए सब समस्या इसको और जोखिम कारक हो सकता है।
१. इंसुलिन की जरुरत बार बार बढ़ते रहना।
२. कम उम्र में डायबिटीज हुआ है तो या बहुत लम्बे समय से डायबिटीज से जूझना।
३. ब्लड शुगर लेवल लगातार बढ़ते रहना।
४. पेशाब में प्रोटीन और बढ़ा हुआ सीरम लिपिड डायबिटिक आना।
५. डायबिटीज के साथ साथ मोटापा होना।
६. डायबिटीज में धूम्रपान और शराब का सेवन करना।
७. परिवार में पहले किसी को किडनी का रोग हुआ होना।
८. डायबिटीज में लगातार पेशाब या सूजन की समस्या।
९. डायबिटीज में खाना कम खाना और पानी कम पीने की आदत।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के बारे में और जानने के लिए यह वीडियो जरूर देखे और अगला ब्लॉग भी जरूर पढ़े इसके ऊपर क्या उपाय कर सकते है जानने के लिए।
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