वैसे तो डायबिटीज़ एक वैश्विक स्वास्थ समस्या है, लेकिन लोग इसे गंभीरता से देखने की बजाय अक्सर नजरंदाज करते है, पर अब इस व्यापक विकार को अनदेखा करना ठीक नहीं है। और ऐसेमें धार्मिक उपवास के कारण डायबिटीज़ मरीजोंका खतरा बढ़ जाता है।
भारत में सालभर त्योहार मनायें जाते है और इनमें से ज़्यादातर त्योहारों में सख्त उपवास और ज्यादा खाना ये दोनों शामिल होते हैं। और इस वजह से स्वस्थ आहार की योजना बनाना बहुत कठिन हो जाता हैं। डायबिटीज़ मरीजोंके लिए जादा खाना और उपवास रखना दोनों जोखिमभरे होते है।
आईडीएफ (IDF) डायबिटीज एटलस 2017 द्वारा जारी खतरनाक आंकड़े डायबिटीज़ की गंभीरता को उजागर करते हैं। इसमें कहा गया है, ”डायबिटीज से दुनिया भर में हर 8 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत होती है। दुनियाभर में 451 मिलियन डायबिटीज़ मरीज है, जिनमें से केवल भारत में ही डायबिटीज़ मरीजों की संख्या 72.9 मिलियन है। और उनके अनुसार 2045 तक ये संख्या बढ़ के 693 मिलियन लोग इस विकार से पीड़ित होंगे। एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और डायबेटोलॉजिस्ट के अनुसार, केरल में मधुमेह रोगियों की संख्या सबसे अधिक है, इसके बाद तमिलनाडु और पंजाब में है।
क्या डायबिटीज़ में उपवास रखने से स्वास्थ समस्याएं हो सकती है?
उपवास को लेकर जो आपके मन में जो आस्था हैं, वो शायद बदलेगी नहीं लेकिन, यह डायबिटीज़ मरीजों की स्थिति बिगड़ने के लिए प्रमुख कारण हो सकती है। डायबिटीज़ मरीज यदि उपवास करना चाहते हैं, तो डायबिटीज़ पर व्यावहारिक सलाह और उपवास पर धार्मिक सलाह महत्वपूर्ण रहेगी । अगर आप डायबिटीज़ मरीज है तो, आपको कई तरह की स्वास्थ समस्याएं हो सकती है। जैसे की, हायपोग्लासेमिया, हायपरग्लासेमिया, डिहायड्रेशन और चयापचय में डायबेटिक केटोएसिडोस जैसी गंभीर जटिलताएँ हो सकती है। उपवास के दौरान शरीर के सिस्टम पर बहुत तनाव होता है और यह तनाव इस बात पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति कितनी देर तक लगातार उपवास करता है।
जब हम उपवास करते हैं, तो शरीर अपने अंदर का संग्रहीत ग्लूकोज स्रोत का उपयोग करता है, और फिर ऊर्जा का स्रोत बनाने के लिए शरीर की चरबी को तोड़ना शुरू कर देता है। उपवास के दौरान शरीर में ग्लूकोज के स्तर की निगरानी करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपवास के दौरान ब्लड शुगर की लेवल बहुत कम हो सकती है।
डायबिटीज़ मरीजों को उपवास के दरम्यान क्या सावधानी रखनी चाहिए?
डायबिटीज़ के मरीज यदि उपवास करने जा रहे हैं, तो डॉक्टर को सूचित करना सबसे अच्छा रहेगा। यदि उपवास की अवधि 12 घंटे से अधिक है, तो ग्लूकोज लेवल ऊपर या नीचे जा सकती है। डायबिटीज़ मरीज जो आमतौर पर दिन का पहला भोजन सुबह में खाते हैं, उनमें दोपहर के बाद ग्लाइकोजन का स्तर कम हो जाता है और इसी समय केटोजेनेसिस होता है। और अगर हम खाना नहीं खाते हैं, तो यह उपवास के दिन की शुरुआत में ही ग्लाइकोजन स्टोर को कम कर देता है और किटोसिस को प्रेरित करता है।
डॉक्टर के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज़ के मरीज आमतौर पर मोटे होते हैं और उनका पेट बड़ा होता है। और यदि रोगी का वजन अधिक बढ़ जाता है तो स्थिति और बिगड़ जाती है। और ज्यादा इंसुलिन की आवश्यकता होती है। यानी अधिक वजन बढ़ना यह दृष्टचक्र शुरू हो जाता है। हल्का और डॉक्टर की सलाह लेकर रुक रुक के किया जाने वाला उपवास मरीजोंका वजन घटाने तथा ब्लड शुगर (रक्त शर्करा) लेवल, रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में लाभकारी हो सकता है।
लेकिन, डॉक्टर की सलाह लिए बगैर उपवास नहीं करना चाहिए। डायबिटीज़ मरीज को उपवास के कारण अपने शरीर पर होने वाली जोखिम का आकलन करने के लिए उपवास से 6-8 सप्ताह पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। उपवास तोड़ते समय स्वस्थ भोजन विकल्प चुनना, घर पर ग्लूकोमीटर का उपयोग करके शुगर लेवल की नियमित रूपसे जाँच करना, शुगर लेवल कम या जादा होने के लक्षणों को पहचानना ये सब उपवास के दौरान निर्णायक होता है।
कौन से मरीज रख सकते है उपवास ?
जो डायबिटीज़ को कंट्रोल करने के लिए मेटफोर्मीन या फिर ग्लिप्टिन जैसे ग्रुप की दवा लेते हैं, वें उपवास रख सकते है। क्योंकि इससे हायपोग्लायसेमिया का खतरा कम हो सकता है। और जो मरीज सल्फोनिलयूरिया प्रकार की दवाएं लेते है उनका ब्लड शुगर नॉर्मल से नीचे जा सकता है।
उपवास के दौरान डायबिटीज़ मरीजों के लिए आहार संबंधी सलाह ।
यह निश्चित करें की भोजन संतुलित मात्रा में हो। जैसे,
- 45-50% कार्बोहाइड्रेट
- 20-30% प्रोटीन
- 35% चरबीजन्य पदार्थ (जादातर मोनो और पॉलीअनसेचुरेटेड)
- अपने आहार में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, और जादा फाइबर वाले खाद्य पदार्थ शामिल करें। इससे, उपवास से पहले और बाद में धीरे-धीरे ऊर्जा उत्पन्न होती रहेगी। उदाहरण के तौर पे, अनाज की रोटी, चावल, फलियां, आदि।
- अपने आहार में ढेर सारे फल, सब्जियों और सलाद को शामिल करें।
- जादा सॅच्युरेटेड फैटयुक्त पदार्थों की मात्रा कम से कम रखिए। उदाहरण के लिए, घी, समोसा, भजियाँ, आदि।
- चीनीयुक्त मीठे पदार्थोंसे बचें।
- खाना बनाते समय तेल की खपत (मात्रा) कम रखें।
- सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच बहुत सारा पानी और शुगर फ्री ड्रिंक पिएं।
- कॅफिनयुक्त तथा शक्कर युक्त पेय सें बचें।
उपवास के दौरान डीहाइड्रेशन होने से बचे, इसके लिए आप नींबू पानी, नारियल पानी, दूध, और छाछ जैसे तरल पदार्थो का नियंत्रित मात्रा में सेवन कर सकते है। यदि उपवास के दौरान आप नमक छोड़ना चाहते है, तो सबसे पहले डॉक्टर सें सलाह लेकर अपनी दवाओं में बदलाव करें, क्योंकि ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) को कंट्रोल करने वाली कुछ दवाइयां अक्सर शरीर से सोडियम को बाहर निकालती हैं।
उपवास के दौरान डाइट को बैलेंस कैसे करें ?
उपवास के दौरान प्रोसेस्ड एवं ट्रांस फैट युक्त, हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल में बनाएं खाद्य पदार्थ जैसे नमकीन और चिप्स आदि का सेवन न करें। तथा सब्जियां, सूखे मेवे (बादाम, अखरोठ, पिस्ता आदि), छाछ, मखाना, भरवां कुट्टू रोटी, कुट्टू चीला, खीरे का रायता, ताजा पनीर और फल आदि लें। इससे पेट भरा हुआ रहता है और खून में ग्लूकोज की मात्रा भी नियंत्रित रहती है। उपवास में तले हुए आलू, मूंगफली, चिप्स, पापड़ और पूड़ी-कचौड़ी आदि खाने से परहेज करना चाहिए। उपवास तोड़ने के बाद आवश्यकता से अधिक न खाएं।
आशा है की आपको यह लेख पढ़कर काफी कुछ समझ मे आया होगा, अगर आपको कुछ शंकाए हो तो अवश्य आप मुझे पूछ सकते है।