मधुमेह के २ प्रकार होते है।
लेकिन इससे पहले जानते है की डायबिटीज होता कैसे है ? क्या आपको मालूम है डायबिटीज होता कैसे है वो ?
जो भी हम खाते है उसे ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है लेकिन कैसे बनती है यह ऊर्जा ?
जो भी हम खाते है उससे ब्लड शुगर लेवल यानी की रक्त शर्करा बढ़ती है लेकिन इस रक्त शर्करा को काबू में लेन का काम हमारे पैंक्रियास करते है, यह हमारे शरीर में मौजूद एक ग्रंथि है जो की इन्सुलिन नाम की हॉर्मोन बनाती है, जो इस शुगर को खून में घुलने में मदद करती है, लेकिन कभी कभी किसि कारन से जैसे की अनुवांशिकता या फिर रोज की ज़िन्दगी में तंदरुस्त न रहना, सुस्त जीवनशैली होना, बोहोत ज्यादा जंक फ़ूड खाना, व्यायाम का अभाव होना ज़िन्दगी में इससे पैंक्रियास ठीक से काम करना बंद कर देता है, जिससे शरीर में insulin बनना बंद हो जाता है।
तो क्या फर्क होता है टाइप १ और टाइप २ में ?
जब अनुवांशिक तरह से होता है वह टाइप १ डायबिटीज बोला जाता है, जब परिवार में माता-पिता में से एक जन के फॅमिली में कोई दादा-दादी को हो तो, डायबिटीज होने की संभावना होती है, लेकिन जब लाइफस्टाइल की वजह से हो, जैसे की बैठक काम बिना कोई शारीरिक व्यायाम नहीं कर रहे है, सुबह देर तक सोना, रात की नींद पूरी न होना या कोई एक हेल्दी लाइफ नहीं जी रहे तो डायबिटीज होने की संभावना होती है।
टाइप १ को जुवेनाइल डायबिटीज भी बोलै जाता है क्योंकि यह छोटी उम्र के बच्चों में भी पाया जाता है क्योंकि यह अनुवांशिक होता है , टाइप १ डायबिटीज वाले लोग दुबले पतले होते है, लेकिन टाइप २ डायबिटीज वाले लोग मोटापे के शिकार होते है, टाइप १ में डायबिटीज अचानक से ही हो जाता है उसकी कोई भी पहले चेतावनी नहीं मिलती, लेकिन टाइप २ थोड़ा थोड़ा करके आखिर समझता है कुछ साल बाद की डायबिटीज है।
डायबिटीज टाइप २ में कुछ गलत खानपान की वजह से शरीर में insulin की मात्रा कम होने लगती है, या फिर खून में मौजूद कोशिकाएं insulin के प्रति कम संवेदन हो सकती है इससे भी रक्त शर्करा बढ़ सकती है। और वह व्यक्ति को टाइप २ डायबिटीज है ऐसा बोल सकते है।
जब पैंक्रियास insulin बनाता है तब glucose हमारे खून में नहीं बहता, वह ऊर्जा के रूप में शरीर में स्टोर किया जाता है जिसे हम फैट(fat ) ऐसे भी बोलते है, यह ऊर्जा जब हम कुछ खाते नहीं तब इस्तेमाल होती है, लेकिन जब insulin के अभाव से glucose खून में ही बहता है तब रेड ब्लड सेल और वाइट ब्लड सेल अपना काम नहीं कर पाती, और ज्यादा बीमारियां हमें घेर लेती है, और ठीक होने में भी समय लगता है।
अब डायबिटीज है या नहीं इसके बारे में जानने के कौन सी टेस्ट करनी चाहिए, है तो क्या खबरदारी ले यह जानने के लिए यह ब्लॉग अंत तक जरूर पढ़े।
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मधुमेह टाइप 1 और टाइप 2 के बीच का अंतर | Type 1 और Type 2 डायबिटीज में क्या अंतर है? | हिंदी में
अब क्या होता है टाइप १ और टाइप २ डायबिटीज के ट्रीटमेंट में फरक ?
टाइप १ डायबिटीज में insulin ट्रीटमेंट देनी पड़ती है, वही टाइप २ डायबिटीज में वजन कम करने से, खाने में control करने से diabetes काबू में ले सकते है, और दवाई से भी काम हो जाता है, अगर बोहोत अच्छी तरह से ध्यान रखा तो insulin dose लेने की नौबत नहीं आती, टाइप १ डायबिटीज में insulin बनना कभी कभी पूरी तरह से बंद हो जाता है, लेकिन यह टाइप २ डायबिटीज में होने में नहीं होता, टाइप २ में insulin शरीर में बनता है लेकिन मात्रा बहुत ही कम होती है। और बहुत बार insulin काम करना बंद हो जाता है जिसे insulin resistance ऐसे भी बोला जाता है, लेकिन अगर वजन कम करते है तो यह कुछ हद तक ठीक हो जाता है।
कोनसी टेस्ट से मालूम होता है की टाइप १ डायबिटीज है या टाइप २ ?
पैंक्रियास जब insulin को खून में छोड़ता है, तब यह insulin की चैन C-Peptide (सी-पेप्टाइड) से एक दूसरे से जुडी हुयी होती है, तो C-Peptide ब्लड टेस्ट से शरीर में C-Peptide की मात्रा समज़ती है, अगर वह शुन्य के ही बराबर है तो समजले की टाइप १ डायबिटीज है और अगर वह १ या उससे ज्यादा है, तो टाइप २ डायबिटीज है ऐसा समझे। ऊपर से डायबिटीज टाइप १ यह autoimmune disease जैसा ही है, इसे जानने के लिए GAD65 antibody टेस्ट किया जाता है।
अगर यह टेस्ट positive आता है तो वह टाइप १ डायबिटीज है ऐसा समझे।
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