तो पिछले ब्लॉग पोस्ट (blog) में हमने देखा की क्या होता है डायबिटिक नेफ्रोपैथी, इस ब्लॉग (blog) में हम उससे कैसे बचा जा सकता हैं, और डायबिटिक नेफ्रोपैथी का हाई ब्लड प्रेशर से संबंध इस बारे में जान लेंगे।
क्या डायबिटिक नेफ्रोपैथी से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है?
जी हां हो सकती है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी की वजह से हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है।
किडनी किसी भी तरह से ख़राब हो गयी तो वह अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और इसकी ही वजह से ब्लड में सोडियम के साथ साथ अन्य अपशिष्ट पदार्थो की मात्रा भी बढ़ने लगती है
और इसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। डायबिटीज से उत्पादित पेरीफेरल वेसोकंसट्रिक्शन में कमी होने की वजह से (Disruption of generated peripheral vasoconstriction )हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ता है। अगर इस दौरान किडनी रोगी को पेशाब ठीक से आने लगे तो ब्लड प्रेशर काबू किया जा सकता है।
जान लेते है डायबिटिक नेफ्रोपैथी का निदान कैसे कर सकते हैं और कोन कोन से टेस्ट कर सकते है
अगर आपने इस ब्लॉग का पार्ट 1 पढ़ा है तो आपको डायबिटिक नेफ्रोपैथी के लक्षण समझ आजायेंगे, अगर आपको उनमेंसे कोई भी लक्षण महसूस हो रहे हो तो आप तुंरत ही अपने डॉक्टर से संपर्क करे। अगर आपको किडनी पूरी तरीके से ख़राब तो नहीं हुयी इस बात की पुष्टि करनी है तो इसलिए डॉक्टर कुछ जाँच करवाने के लिए बोलते है, जिससे आपकी है या नहीं, या फिर किडनी कितने हद्द तक ख़राब(damage) हो चुकी है यह समज़ता है। और आप कोनसी स्टेज पे है यह भी समज़ता है। किडनी की जांच को (kidney function test) किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT)
कहा जाता है, जिसमे खून, पेशाब के साथ साथ और भी कई जांच की जाती है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता के बारे में जानकारी मिलती है।
किडनी फंक्शन टेस्ट में नीचे गए टेस्ट शामिल होते है।
१. (Microalbuminuria urine test) माइक्रोएल्ब्यूमिन्यूरिया मूत्र परीक्षण –
इस टेस्ट में आपके पेशाब में एल्ब्यूमिन की जांच करता है। सामान्य मूत्र में एल्ब्यूमिन नहीं होता है, यह आपके मूत्र में प्रोटीन मौजूद होने की क्षति का संकेत देता है, जो किडनी ख़राब होने का मूल कारन हो सकता है।
२. (BUN Blood Test) ब्लड यूरिया नाइट्रोजन रक्त परीक्षण –
BUN रक्त परीक्षण आपके खून में यूरिया नाइट्रोजन की उपस्थिति की जांच करता है। प्रोटीन के टूटने पर यूरिया नाइट्रोजन बनता है। आपके खून में यूरिया नाइट्रोजन का सामान्य स्तर से अधिक होना गुर्दे की विफलता का संकेत होता है।
३. (Serum Creatinine blood and urine test) सीरम क्रिएटिनिन रक्त और पेशाब परीक्षण –
एक सीरम क्रिएटिनिन रक्त परीक्षण आपके रक्त में क्रिएटिनिन के स्तर को मापने का काम करता है। आपकी किडनी मूत्राशय में (Urinary Bladder) क्रिएटिनिन भेजकर आपकी उसे पेशाब के जरिये बाहर निकाल रही है। लेकिन अगर आपकी किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती तो वह यह क्रिएटिनिन पेशाब से बाहर नहीं निकाल पाएंगे और उसकी मात्रा खून में बढ़ जाएगी।
४. (Glomerular filtration rate) ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर –
इस टेस्ट की मदद से किडनी की कार्यक्षमता जांची जाती है , और यह पता लग सकता है की किडनी, किडनी फेलियर के कोनसे स्टेज पर है।
५. (Kidney Biopsy) किडनी बायोप्सी –
बायोप्सी सिर्फ किडनी की ही नहीं तो शरीर के बाकी अंगों की भी की जा सकती है। इस क्रिया में उस भाग का छोटा सा नमूना हटा दिया जाता है , और उसे माइक्रोस्कोप के नीचे देखा जा सकता है, लेकिन यह काफी गंभीर जांच होती है इसलिए डॉक्टर यह जांच करने से अक्सर बचते है। क्योंकि इसकी वजह से व्यक्ति की हालत और गंभीर भी हो सकती है। इसलिए इसे अंतिम जांच की स्वरुप में भी देखा जा सकता है।
इन सभी जांच के साथ डॉक्टर किडनी रोगी को एक्सरे जांच और अल्ट्रासाऊंड करवाने के लिए भी बोल सकते है।
आप क्या कर सकते है डायबिटिक नेफ्रोपैथी से बचने के लिए जान लेते है अभी
अगर आप डायबिटीज से बहुत लम्बे अरसे से जुज रहे है तो किडनी ख़राब होने का धोखा बना रहता है, ऐसा जरुरी नहीं है की आपकी किडनी ख़राब हो यह तय ही है , तो अगर डायबिटीज लम्बे समय से है और आपको बाकि के खतरों से बचना है तो निचे दिए गए आदि चीजे जरूर याद रखे।
१. अपना ब्लड शुगर लेवल हमेशा काबू में रखे, कोशिश करे की आपका ब्लड शुगर लेवल न बढे।
२. अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो उसे काबू में रखें, और कोशिश करे की वो न हो।
३. यदि आप डायबिटिक है और धूम्रपान करते है तो उसे जल्दी से जल्दी छोड़ दे उसे छोड़ने के लिए डॉक्टर और अपने परिवार की सहायता जरूर ले।
४. मीठे खाने से दूरी बनाये रखें, अगर एकदम ही ज्यादा मीठा खाने का मन है तो फलों का सेवन करे और फिर भी मीठा खाना ही है तो रिफाइंड यानि की सफ़ेद चीनी का इस्तेमाल न करे उसकी जगह गूढ़ या फिर कोई शुगर फ्री सबस्टीट्यूट ले ले।
५. एक स्वस्थ आहार आहार बनाये बनाये रखे एक ऐसा डाइट फॉलो करे जिसमे सोडियम की मात्रा कम हो, फ़ास्ट फ़ूड से दूरी बनाये रखे, ज्यादा नमक वाले पदार्थो से दूर रहे, ताजा जमे हुए उत्पाद, लीन मीट, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा खाने पर ध्यान दे।
६. इन्सुलिन की निर्भरता कम करे, अगर आप इन्सुलिन की इंजेक्शन लेते है तो अपने डॉक्टर से बात करके ऐसे उपायों की मदद ले जिससे आपको इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की आवश्यकता न हो।
७. व्यायाम को अपनी दिनचर्या का नियमित हिस्सा बनाये, धीरे धीरे शुरू करे और अपने लिए सबसे अच्छा व्यायाम का कार्यक्रम अपने डॉक्टर के साथ मिलकर सुनिश्चित करे।
व्यायाम आपको स्वस्थ वजन बनाये रखने और रक्तदाब को कम करने में मदद करता है।
८. किडनी को स्वस्थ रखने के लिए दिन भर में प्राप्त मात्रा में पानी ले। पानी बराबर मात्रा में पीने से आपको पेशाब से जुडी समस्याए नहीं होगी जो डायबिटीज होने पर अक्सर हो जाती है।
९. शराब का सेवन न करे, शराब का सेवन करने से शुगर लेवल का संतुलन बिगड़ जाता है, जिसको समय के साथ ठीक करना मुश्किल हो जाता है।
१०. प्रोटीन का सेवन सिमित करे।
और जानकारी के लिए डॉ. निखिल प्रभु का यूट्यूब चैनल जरूर फॉलो करे
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