इंसुलिन के क्या प्रकार होते है और इंसुलिन किस तरह से लिया जा सकता है?

अगर आपको डायबिटीज है, तो आपके लिए यह जानना बहुत ही आवश्यक है की शरीर में इंसुलिन की मात्रा बराबर है या नहीं। आज यह ब्लॉग इसी संबंधी है।


जानिये अपने शरीर को और अच्छी तरह से, कैसे करे अपना शुगर मैनेज और अगर हम इंसुलिन इंजेक्शन लेते है तो क्या होते है इंसुलिन के प्रकार? और इन सब प्रकार के इंसुलिन को हम किस तरह से ले सकते है ?


इन्सुलिन काम कब करना शुरू करता है ? इंसुलिन सबसे ज्यादा कार्यरत कब है ? और इंसुलिन काम करना कब ख़त्म करता है ? ये जानने के लिए पूरा ब्लॉग जरूर पढ़े और जानकारी के लिए
यहाँ 👇 दिए गए यूट्यूब वीडियो पर क्लिक करे और जाने डॉक्टर निखिल प्रभुजी इंसुलिन के डोज़ को कैसे एडजस्ट करते है, और उसपे क्या उपाय बताते है।


इंसुलिन का डोस कैसे एडजस्ट किया जाता हे? | इन्सुलिन से जुडी ये गलतियाँ कभी ना करना! Dr Nikhil Prabhu

इन्सुलिन के भी कैरेक्टर होते है यानी कि वह शरीर में जाने के बाद क्या क्या बदलाव लाता है?
१. ऑन सेट (onset) मतलब इंसुलिन लेने के बाद का वह समय जहां वह खून तक पोहोच के ब्लड शुगर कम करना शुरू कर देता है। शुरुआत.
२. पीक टाइम (peak time) : इसमें इंसुलिन बहुत ही मजबूती से काम करता है रक्त शर्करा कम करने के लिए।
३. कितना समय काम करेगा (duration) मतलब और कितने समय तक इंसुलिन रक्त शर्करा कम कर सकता है।

ब्लड शुगर लेवल के टारगेट क्या होनी चाहिए जान लेते है।

१. ब्लड शुगर लेवल खाने से पहले : ७०-१५० के बीच

२. ब्लड शुगर लेवल रात के दौरान : ९०-१५० के बीच

ब्लड शुगर लेवल ज्यादा क्यों हो सकता है ?

१. ज्यादा कार्बोहायड्रेट का सेवन करने से, जैसे की जंक फ़ूड, बाहर का तला हुआ खाना।
२. ज्यादा शारीरिक गतिविधियां ना होने के कारण। इसलिए अगर आपको डायबिटीज है, और आप तंदरुस्त ज़िन्दगी जीना चाहते हो तो हर घंटे अपनी जगह से उठ कर ८ मिनट किसीभी तरीके का व्यायाम करे, या कही चलके आए।
३. तनाव लेना।
४. इंसुलिन का डोज़ बढ़ाने की आवश्यकता होना।
५. इंसुलिन लेना भूल जाना।
६. बीमारी या कोई इन्फेक्शन।
७. कहीं जगह चोट आ जाना या फिर कोई सर्जरी।

ब्लड शुगर लेवल कम कब हो सकता है ?

१. ज्यादा इंसुलिन लेना।
२. इंसुलिन लेने के बाद कार्बोहाइड्रेट ना खाना।
३. आवश्यकता से ज्यादा शारीरिक व्यायाम करना।
४. शराब का सेवन करना।

आप अपने ब्लड शुगर इस तरीके से भी जांच सकते है।
आप ६ कॉलम बनाये, खाने के २ घंटे बाद अगर आप ब्लड शुगर लेवल चेक करते है तो वह आपको बताता है की इंसुलिन ने किस तरह से काम किया है।
आप यह ६ कॉलम बनाये।
१. नाश्ते से पहले।
२. नाश्ते के २ घंटे बाद।
३. खाने के पहले।
४. खाने के २-३ घंटे बाद।
५. रात के खाने से पहले।
६. रात के खाने के २-३ घंटे बाद सोने से पहले।

यहाँ आप देख सकते है की आपका ब्लड शुगर लेवल १५० के ऊपर कब गया या टारगेट के ऊपर कब आया था और आप इस प्रकार से अपना इंसुलिन डोज़ एडजस्ट कर सकते है।

अब जान लेते है insulin के क्या क्या प्रकार होते है ?

ब्लॉग पढ़ने से पहले जान ले डॉक्टर क्या बताते है इंसुलिन के इन डोज़ के बारो में
नीचे 👇 दिए गए लिंक पर क्लिक करे।


इंसुलिन के कोनसे प्रकार है और इंसुलिन कैसे काम करता है | Dr Nikhil Prabhu Types of Insulin & Action

१. फ़ास्ट एक्टिंग इंसुलिन :
इस प्रकार के insulin के टाइप में और ३ प्रकार आते है जो है:
१. १ लिस्प्रो (ह्युमालोग)
१.२ एस्पर्ट (नोवोलोग)
१.३ ग्लूलयसिन (एपिडरा )
यह ५-१० मिनिट में ही तुरंत अपना काम शुरू कर देता है, एक घंटे में पीक आती है, और इसका असर ४ घंटे में ख़त्म हो जाता है।
और यह ३ है फास्टेस्ट यानी कि बहुत ही जल्दी काम करने वाले इंसुलिन ।

२. रेगुलर एक्टिंग इंसुलिन :
यह खाने के आधे घंटे पहले लेते है, क्योंकि यह ३० मिनट बाद काम करना शुरू कर देता है, २ घंटे में पिक आती है और यह ४-६ घंटे तक शरीर में काम करता है।
यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला इंसुलिन है और सबसे सस्ता भी।

३. इंटरमीडिएट एक्टिंग इंसुलिन :
यह बेज़ल (basal) इंसुलिन की तरह काम करता है। यह जैसे एक नॉन डायबिटिक पेशेंट में काम करता है वैसे इंटरमीडिएट इंसुलिन डायबिटिक पेशंट में काम करता है।
यह देने के बाद ४-६ घंटे में इसका काम शुरू हो जाता है, ६-७ घंटे में इसका पीक आ जाता है, और यह १२ घंटे के बाद काम करना शुरू कर देता है। यह इंसुलिन दिन में २ बार ही लेते है।

४. लॉन्ग एक्टिंग इंसुलिन :
यह २४ घंटे काम करता है। यह देने के बाद ४-६ घंटे में काम शुरू करता है और, इसमें साधारण तरीके से पीक नहीं आता, यह पूरा दिन थोड़ा थोड़ा ऐसे करते हुए कार्यरत रहता है।


निचे दिए गए २ इंसुलिन fasting, मतलब खाली पेट बढ़ी हुआ शुगर कंट्रोल करने के समय बहुत बढ़िया काम करते है।
तो अगर आप उपवास करना चाहते है तो इंटरमीडिएट इंसुलिन और लोंग एक्टिंग इंसुलिन अपने डॉक्टर की सलाह लेकर शुरू करें।

अब जान लेते है इन सब इंसुलिन को क्या हम इन सब इंसुलिन को मिक्स करके ले सकते है या नहीं ?

क्या होता है premix insulin( प्रीमिक्स इंसुलिन ) ?
अगर ३०% फ़ास्ट एक्टिंग इंसुलिन को ७०% इंटरमीडिएट एक्टिंग इंसुलिन को मिश्रित किया तो बन जाता हे अपना प्रीमिक्स इंसुलिन ।
फास्टींग के समय यह डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए बहुत ही अच्छे से काम आता है, और भारत देश में यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला इंसुलिन है। क्युकी बार बार सुई लगाने से अच्छा इसमें २ बार ही सुई लगानी पड़ती है, और यह बहुत अच्छे तरीके का कण्ट्रोल भी देता है डायबिटीज पर।

अगले ब्लॉग में हम यह जान लेंगे की इंसुलिन के इंजेक्शन कैसे लगाए? इंजेक्शन लगाते समय क्या सावधानी ले? और सबसे महत्वपूर्ण कैसे एडजस्ट करे इंसुलिन के डोज़ को?

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